हिन्दू मान्यतानुसार लक्ष्मी जी को धन और वैभव की देवी माना जाता है। पुराणों के अनुसार यह भगवान विष्णु की पत्नी हैं। दीपावली के शुभ अवसर पर इनकी विशेष पूजा की जाती है। माना जाता है कि स्वभाव से चंचल मानी जाने वाली लक्ष्मी जी की आराधना से मनुष्य के जीवन में धन और वैभव की कभी कमी नहीं रहती।
लक्ष्मी जी की जन्म कथा (Birth Story of Laxmi Ji)
मान्यता है कि लक्ष्मी जी का जन्म समुद्र मंथन के द्वारा हुआ था। एक कथा के अनुसार देवताओं की शक्ति क्षीण होने के बाद उसे वापस प्राप्त करने के लिए देवताओं और राक्षसों ने भगवान विष्णु के कहने पर समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन के दौरान देवताओं को 14 रत्नों की प्राप्ति हुई जिसमें से एक लक्ष्मी जी थी। लक्ष्मी जी के एक हाथ में धन से भरा कलश और दूसरा हाथ अभय मुद्रा में था। लक्ष्मी जी ने समुद्र से निकलते ही भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में स्वीकार किया था।
मान्यता है कि लक्ष्मी जी का जन्म समुद्र मंथन के द्वारा हुआ था। एक कथा के अनुसार देवताओं की शक्ति क्षीण होने के बाद उसे वापस प्राप्त करने के लिए देवताओं और राक्षसों ने भगवान विष्णु के कहने पर समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन के दौरान देवताओं को 14 रत्नों की प्राप्ति हुई जिसमें से एक लक्ष्मी जी थी। लक्ष्मी जी के एक हाथ में धन से भरा कलश और दूसरा हाथ अभय मुद्रा में था। लक्ष्मी जी ने समुद्र से निकलते ही भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में स्वीकार किया था।
लक्ष्मी जी के मंत्र ( Laxmi Ji ke Mantra)
लक्ष्मी जी का सर्वाधिक प्रचलित मंत्र है: "ऊं महालक्ष्म्यै नम:"। इसके अलावा कई ज्योतिषी घर में सुख- शांति, धन- धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी जी के इस मंत्र को भी लाभदायक मानते हैं:
लक्ष्मी जी का सर्वाधिक प्रचलित मंत्र है: "ऊं महालक्ष्म्यै नम:"। इसके अलावा कई ज्योतिषी घर में सुख- शांति, धन- धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी जी के इस मंत्र को भी लाभदायक मानते हैं:
ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् |
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ||
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ||
लक्ष्मी जी का स्वरूप (Incarnation of Laxmi Ji)
पुराणों के अनुसार लक्ष्मी जी बेहद चंचल स्वभाव की हैं और एक ही स्थान पर अधिक समय तक नहीं रहती। यही वजह है कि अगर मनुष्य धन का आदर ना करें तो उसे निर्धन होते देरे नहीं लगती।
माता लक्ष्मी जी के चार हाथ हैं, जिनमें से दो हाथों में वे कमल का फूल धारण किए रहती हैं तथा दो अन्य हाथों में से एक हाथ में कलश तथा एक हाथ से धन वर्षा करती रहती हैं। इनकी सवारी उल्लू है तथा यह कमल पर विराजमान रहती हैं।
दीवाली पर होती है देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा (Worship of Goddess Laxmi At Diwali)
दीवाली के पावन पर्व पर देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है। माना जाता है कि दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजा करने से घर में धन- संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। दीवाली के बारे में और अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें:- (दिपावली)
लक्ष्मी जी से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें (Facts of Laxmi ji)
- लक्ष्मी जी को कमल का फूल अतिप्रिय है।
- लक्ष्मी जी भगवान विष्णु के साथ क्षीरसागर में विराजमान रहती है।
- लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू और हाथी हैं।
- लक्ष्मी जी की एक बहन है जिसका नाम दरिद्रा है।
- लक्ष्मी जी कभी एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं रहती।
लक्ष्मी जी के नाम (Other Name of Laxmi Ji)
- विकृति
- विद्या
- सर्वभूतहितप्रदा
- विभूति
- सुरभि
- परमात्मिका
- वाचि
- पद्मलया
- पद्मा
- शुचि
लक्ष्मी जी के प्रसिद्ध मंदिर ( Famous Temples of Laxmi Ji)
- लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर
- लक्ष्मी नारायण मन्दिर, भोपाल
- लक्ष्मी नारायण मंदिर, दिल्ली
- लक्ष्मी मंदिर, खजुराहो
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