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12 vastu tips for home temple in hindi: घर के मंदिर में रखें इन 12 बातों का ध्यान
मंदिर सभी हिन्दू घरों का एक अभिन्न हिस्सा है और अधिकांश गृहस्वामी घर में मंदिर रखने से पहले वास्तु के नियमों का पूरा ध्यान रखते हैं। घर में मंदिर एक ऐसी जगह होती है जहां सकारात्मक शक्तियों का वास होता है। सभी अच्छे कामों की शुरुआत से पहले घर के मंदिर में माथा टेका जाता है। इसलिए जरूरी है कि घर में रखा जानेवाला मंदिर वास्तु शास्त्र (vastu shastra) के हिसाब से बना हो और उसे सही जगह पर सही दिशा में रखा गया हो। घर का मंदिर अगर वास्तु सम्मत नहीं है, तो यह घर में पॉजिटिव ऊर्जा नहीं प्रदान कर सकेगा और नियमित पूजा-पाठ और मेहनत के बावजूद घरवालों के काम नहीं बन पाते. वास्तु शास्त्र में मंदिर के लिए कुछ ज़रूरी नियमों (vastu tips for wooden temple at home) को बताया गया है, यहां उन्हीं में से कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स (vastu shastra tips for home temple) दे रहे हैं.
वास्तु टिप्स (vastu shastra tips for home temple in hindi)
1. मंदिर को ऊंचा रखा जाना चाहिए ताकि भगवान का पैर भक्त की छाती के स्तर पर आ जाए।2. भगवान की मूर्ति, जो 10 इंच से अधिक ऊँची है, उसे घर में रखना अशुभ माना जाता है।
3. मंदिर में पूजा करते समय चटाई या कालीन पर बैठ कर ही पूजा करें।
4. लकड़ी या संगमरमर से निर्मित मंदिर ही उपयुक्त माने जाते हैं। वास्तु के मुताबिक लकड़ी गुड लक लाती है। अगर आप संगमरमर का मंदिर रखना चाहते हैं तो वो भी रख सकते हैं। इससे भी घर में शांति और खुशी आती है।
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5. लकड़ी के मंदिरों में हमेशा शीर्ष पर गुंबद होना चाहिए।
6. मंदिर को सीधे फर्श पर न रखें क्योंकि इसका अर्थ है देवताओं का अनादर। मंदिर को रखने से पहले हमेशा कुछ नींव रखें।
7. मंदिर में दीया दक्षिण-पूर्व में जलाना चाहिए। इससे मंदिर के हर एक कोने में रौशनी जाती है और ये धन-दौलत, खुशी और पॉज़िटिविटी लाता है। इसके अलावा अगर आपका मंदिर बेडरूम या किचन में हो तो पूजा के बाद उसे एक परदे से ढककर रखें।
8. घर के मंदिर में स्वर्गीय पूर्वजों की तस्वीर न रखें। यह भगवान का अनादर समझा जाता है। अगर आपको स्वर्गीय पूर्वजों की फोटो मंदिर में रखनी ही है तो हमेशा भगवान के लेवल से नीचे रखें।
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9. घर के मंदिर को आदर्श रूप से उत्तर-पूर्व कोने में रखा जाना चाहिए, जिसे ईशान कोने के रूप में भी जाना जाता है। अगर वह दिशा उपलब्ध नहीं है तो उसका विकल्प पूर्व दिशा है जिसका अर्थ है पूर्व दिशा में पश्चिम की ओर मुख करके मंदिर रखें।
10. अगर आपका अलग पूजा रूम है तो इसकी दीवारों का रंग पीला, हरा या फिर हल्का गुलाबी रखें. बेहतर होगा आप इनमें से किसी एक रंग से ही दीवारे रंगें.
11. मंदिर में जलने वाला दिया हमेशा मंदिर के दक्षिण-पूर्वी दिशा में रखना चाहिए.
12. मंदिर और बाथरूम की दीवार कभी भी एक नहीं होनी चाहिए। अगर मंदिर दूसरे फ्लोर पर है तो नीचे टायलेट नहीं होना चाहिए। अपने मंदिर को हमेशा साफ रखें. पूजा के बाद सामानों को वापस शेल्फ में रखें.
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