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5 Books on Lord Shiva you must read in hindi: यदि आप शिव भक्त हैं, तो ये पांच पुस्तकें जरूर पढ़ें


यदि आप शिव भक्त हैं, तो ये पांच पुस्तकें जरूर पढ़ें: 5 Books on Lord Shiva you must read in hindi

शिव (Lord Shiva) कौन हैं? क्या वे भगवान हैं? या बस एक पौराणिक कथा? या फिर शिव का कोई गहरा अर्थ है, जो केवल उन्हीं के लिए उपलब्ध है जो खोज रहे हैं? भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति के सबसे अहम देव, महादेव शिव, के बारे में कई गाथाएँ और दंतकथाएं सुनने को मिलती हैं। क्या वे भगवान हैं या केवल हिन्दू संस्कृति की कल्पना हैं? या फिर शिव का एक गहरा अर्थ है, जो केवल उन्हीं के लिए उपलब्ध है जो सत्य की खोज में हैं? भगवान शिव को सही अर्थों में जानने के लिए आवश्यक है कि उनके बारे में विस्तार से अध्ययन किया जाए। सौभाग्य से हाल में कुछ ऐसी पुस्तकें (books) प्रकाशित हुई हैं, जो भगवान शिव के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालती हैं। आइये जानते हैं इन पुस्तकों के बारे में:


शिव रचना – अमीश त्रिपाठी (Shiva Trilogy by Amish Tripathi) 


यह एक नहीं बल्कि तीन पुस्तको का समूह है, जिसमे पहला भाग `मेलूहा के मृत्युंजय',  दूसरा `नागाओ का रहस्य' और तीसरा `वायुपुत्रो की शपथ' है।
यकीन मानिये इस किताब के लेखक अमिश त्रिपाठी ने इसकी रचना कुछ इस प्रकार की है कि जो भी व्यक्ति इस पुस्तको के कुछ पन्ने पढता है, वह अगले पेज को पढ़ने के लिए अति उत्साहित हो जाता है। इन पुस्तकों को पढ़ते समय आपको ऐसा लगेगा मनो हर अगले पन्ने पर आप किसी रहस्य को खुलते देख रहे हों। इसमें यह बताया गया है की अगर भगवान शिव एक इंसान होते तो उनका जीवन कैसा होता। यह पुस्तक शिव के जीवन को दर्शाती है और अगर आप भी शिव भक्त है तो आपको इसे अवश्य पढ़ना चाहिए।

शिव के सात रहस्य - देवदत्त पटनायक (Shiv ke saat rahasya by Devdutt Pattanaik)


हिन्दुओं के अनगिनत देवी-देवताओं में से शिव सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। महादेव के नाम से भी जाने जानेवाले शिव, विष्णु और ब्रह्मा के साथ हिन्दू देवताओं के त्रिमूर्ति माने जाते हैं। शिव के अनेक रूप हैं: कहीं तो वह कैलाश पर्वत की बर्फ़ीली चोटी पर बैठे अपने पर नियंत्रण रखनेवाले एक ब्रह्मचारी योगी हैं जो दुनिया का विनाश करने की क्षमता रखते हैं तो दूसरी ओर अपनी पत्नी और पुत्रों के साथ गृहस्थ आश्रम का आनन्द भोगते हुए गृहस्थ हैं। इनमें से कौन-सा है शिव का वास्तविक रूप? माथे पर तीसरी आँख, गर्दन में सर्प, शीश पर अर्द्धचन्द्र, केशों से बहती गंगा और हाथों में त्रिशूल और डमरू-इन सब प्रतीकों का क्या अर्थ है? शिव के अनेक रूप और प्रतीकों के पीछे छिपे हैं हमारे पौराणिक अतीत के अनेक रहस्य जिनमें से सात को समझने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है। देवदत्त पट्टनायक पौराणिक विषयों के जाने माने विशेषज्ञ हैं। पौराणिक कहानियों, संस्कारों और रीति-रिवाजों का हमारी आधुनिक ज़िन्दगी में क्या महत्त्व है इस विषय पर वह लिखते भी हैं और जगह-जगह व्याख्यान भी देते हैं। इनकी पन्द्रह से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और टीवी पर इनका कार्यक्रम भी दिखाया जाता है।

नीलकंठ : पराजय का विष और शिव - संजय त्रिपाठी


मंजुल प्रकाशन ने संजय त्रिपाठी की पुस्तक 'नीलकंठ : पराजय का विष और शिव' प्रकाशित की है। यह पौराणिक इतिहास पर हिन्दुओं के त्रिदेवों में सबसे अधिक लोकप्रिय 'महादेव' अर्थात् शिवजी की महानता पर लिखा उपन्यास है। लेखक ने बहुत ही कलात्मक लेखन शैली के जरिये इस उपन्यास में आर्य-द्रविड़ तथा देवासुर संघर्ष की क​थाओं को जोड़कर भारतीय सांस्कृतिक एकता में भगवान शिव की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला है जिसमें उन्होंने काल्पनिक वार्तालाप को सजीवता के साथ मौलिक कलेवर में पेश करने का सफल प्रयास किया है। आर्यों और द्रविड़ों के बीच अस्तित्व की लड़ाई में आर्यों का नेतृत्व उनके युवा नायक विष्णु कर रहे थे तो द्रविड़ों की ओर से शिव के हाथ कमान थी। युद्ध लंबा चला जिसमें आखिरकार आर्यों की जीत हुई।

भले ही यह पुस्तक आर्य-द्रविड़ संघर्ष और उसमें हिन्दू धर्म के सबसे बड़े देव महादेव की विशेष भूमिका पर लिखी गयी है, लेकिन यहां लेखक ने कई युगों से जुड़ी विभिन्न धार्मिक घटनाओं और भारतीय सांस्कृतिक महापुरुषों राजा महाराजाओं तथा ऋषि मुनियों के आपसी संबंधों और कार्य व्यवहारों का वर्णन किया है। अंत में निष्कर्ष यही निकाला गया है कि आर्यों द्रविड़ों बीच चले संघर्ष को समाप्त कर महादेव ने दोनों संस्कृतियों में एकता करायी जिसके साथ ही इन दोनों के मिलन से हिन्दू धर्म ने जन्म लिया, जिसमें शिव को विष्णु के साथ प्रमुख देव माना गया। शिव ने करुणा और हृदय की विशालता से द्रविड़ों के साथ-साथ आर्यों का भी मन जीत लिया और आर्यों ने उन्हें अपना प्रमुख देव 'महादेव' बना दिया।

संजय त्रिपाठी की यह पुस्तक बेहद रोचक है। भारतीय संस्कृति के जिज्ञासुओं को यह पुस्तक जरुर पढ़ी चाहिए।

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