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how to do sunderkand path and hanumanji worship at home in hindi

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करें सुंदरकांड का पाठ, हनुमानजी करेंगे मनोरथ पूरे (how to do sunderkand path and hanumanji worship at home in hindi)

नकारात्मकता और बाधाओं से छुटकारा दिलाता है सुंदरकांड का पाठ (sunderkand path)

सुंदरकांड (sundarkand) रामचरितमानस का एक अध्याय है। माना जाता है कि नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करने से बुराइयों को दूर करने, जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और सुख-समृद्धि प्राप्त करने में मदद मिलती है। सुंदरकांड(sunderkand) में बताया गया है कि कैसे भगवान हनुमान ने समुद्र पार किया और सीता मां को खोजने के लिए लंका की यात्रा के दौरान बाधाओं से बचे। चूँकि भगवान हनुमान (hanumanji) सीता के बारे में जानकारी जुटाने के अपने अभियान में सफल रहे थे, इसलिए इस अध्याय में भगवान हनुमान के ज्ञान और शक्ति का भी वर्णन किया गया है। सुंदरकांड में भगवान कहते हैं - "निर्मल मन जन सो मोहे पावा, मोहे कपट छल चिद्र न भावा", यानी स्वयं की तरह, भगवान भी उन भक्तों को पसंद करते हैं जिनके पास शुद्ध मन और विचार हैं, जिनके मन में कोई भी कपट, छल नहीं है।


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सुंदरकांड का पाठ करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि व्यक्ति को अपने कार्यों को करने की शक्ति और दृढ़ संकल्प मिलता है।

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। 
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

यानि अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरुके) समान कान्तियुक्त शरीरवाले, दैत्य रूपी वन को ध्वंस करने हेतु अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, सम्पूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथ जी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान जी को मैं प्रणाम करता हूं।

मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने की परंपरा है। यह भी कहा जाता है कि चालीस सप्ताह तक लगातार जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक सुंदरकांड का पाठ करता है तो उसके सारे मनोरथ पूर्ण होते है। उसके जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं।

सुंदरकांड पाठ की अनंत महिमा (Benefits of Sunderkand in hindi)

शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा हो या फिर आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं।


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माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का है। यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला पाठ है।
सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है। हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है।

सुन्दरकाण्ड श्री हनुमान जी की स्तुति है। सुन्दरकाण्ड का पाठ करने से पहले ये मन में  विश्वास रखे कि जैसे, हनुमानजी ने श्री राम जी के सब काज संवारे हमारे भी सब कष्ट हरेंगे। सुंदरकांड में तीन श्लोक, साठ दोहे तथा पांच सौ छब्बीस चौपाइयां हैं । साठ दोहों में से प्रथम तीस दोहों में विष्णुस्वरूप श्री राम के गुणों का वर्णन है । सुंदर शब्द इस कांड में चौबीस चौपाइयों में आया है ।

कैसे करें सुंदरकांड का पाठ (sunderkand ka path kaise karen)

- सुंदरकांड का पाठ करने से पहले भक्त स्नान करके स्वच्‍छ वस्त्र धारण करें।
- हनुमानजी और श्री राम की फोटो या प्रतिमा पर पुष्पमाला चढ़ाकर दीप जलाये और भोग में गुड चन्ने या लड्डू का भोग अर्पित करे।
- पाठ शुरू करने से पहले सबसे पहले श्री गणेश की पूजा करे फिर अपने गुरु की , पितरो की फिर श्री राम की वंदना करके सुन्दरकाण्ड का पाठ शुरू करे।
- पूर्ण करने में ही ध्यान दे।
- पाठ खत्म होने के बाद श्री हनुमान आरती और श्री राम जी आरती करे और पाठ में भाग लेने वालो को आरती और प्रसाद दे ।
- सुन्दरकाण्ड प्रारम्भ करने के पहले हनुमानजी व् राम चन्द्र जी का आवाहन जरूर करें।
- जब सुन्दर कांड समाप्त हो जाये तो भगवान को भोग लगा कर, आरती करके, उनकी विदाई भी करें।
- पाठ होने के बाद सुंदरकांड को लाल कपड़े में श्रद्धापूर्वक लपेटकर पूजा स्थान पर रख दें।

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