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मोहिनी एकादशी 2020: Mohini Ekadashi vrat in Hindi

Mohini Ekadashi
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मोहिनी एकादशी 2020: Mohini Ekadashi vrat in Hindi

जानिए मोहिनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्‍व


मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। कार्तिक माह की ही तरह वैशाख महीने में आने वाली मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2020) को भी पुराणों में बेहद पावन माना गया है। मोहिनी एकादशी व्रत (Mohini Ekadashi Vrat) बेहद फलदायी है। मान्‍यता है कि जो भी जातक यह व्रत करता है उसे सहस्‍त्र गोदान का फल मिलता है। यह व्रत वैशाख मास के शुक्‍लपक्ष की एकादशी को रखा जाता है। मान्‍यताओं के अनुसार इस एकादशी (Ekadashi) के प्रताप से व्रत करने वाला व्‍यक्ति मोह-माया से ऊपर उठ जाता है। इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है। भगवान विष्‍णु ने वैशाख शुक्‍ल एकादशी के दिन ही मोहिनी (Mohini) का रूप धारण किया था। भगवान ने अपने इसी मोहिनी रूप (Mohini Roop) से असुरों को मोहपाश में बांध लिया और सारा अमृत पान देवताओं को करा दिया था।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा: Mohini Ekadashi Vrat Katha in Hindi

एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने देवकी नंदन श्रीकृष्‍ण से पूछा कि वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम और उसकी कथा क्‍या है? उन्‍होंने न‍िवेदन किया क‍ि हे माधव कृपा करके व्रत की विधि भी व‍िस्‍तारपूर्वक बताएं। इसपर श्रीकृष्ण ने कहा क‍ि हे धर्मराज, मैं जो कथा आपसे कहने जा रहा हूं, इसे गुरु वशिष्‍ठ ने मर्यादा पुरुषोत्‍तम श्रीराम से कहा था। कथा इस प्रकार है कि एक बार श्रीराम ने गुरु वशिष्‍ठ से पूछा कि हे गुरुदेव, ऐसा कोई ऐसा व्रत बताइए, जिससे समस्त पाप और दु:ख का नाश हो जाए। मैंने सीताजी के वियोग में बहुत दु:ख भोगे हैं।
श्रीराम के इस प्रश्‍न पर गुरु वशिष्ठ बोले- हे राम, यह बहुत ही उत्‍तम प्रश्‍न है। आपकी बुद्धि अत्यंत शुद्ध तथा पवित्र है। उन्‍होंने कहा क‍ि वैशाख मास में जो एकादशी आती है, उसका नाम मोहिनी एकादशी है। यह व्रत करने से मनुष्य के समस्‍त पापों तथा दु:खों का नाश हो जाता है। वह सभी मोहजाल से भी मुक्त हो जाता है। महर्षि ने कहा कि मोह किसी भी चीज का हो, मनुष्य को कमजोर ही करता है। इसलिए जो भी व्‍यक्ति मोह से छुटकारा पाने की कामना रखते हैं उनके लिए यह मोहिनी एकादशी का व्रत अत्‍यंत उत्‍तम है।

मोहिनी एकादशी को लेकर एक और कथा मिलती है। इसके अनुसार सरस्‍वती नदी के सुंदर तट पर भद्रावती नाम की सुंदर नगरी थी। जहां चंद्रवंश में जन्‍में सत्‍यप्रतिज्ञ धृतिमान नामक राजा हुए। उसी नगर में एक वैश्य रहता था जो धन-धान्‍य से परिपूर्ण और समृद्धिशाली था। उसका नाम था धनपाल। वह सदा ही पुण्‍यकर्मों में लगा रहता था। साथ ही वह भगवान विष्णु का अनन्‍य भक्‍त था। उसके पांच पुत्र थे। जिनके नाम सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत तथा धृष्‍ट्बुद्धि । धनपाल के अन्‍य पुत्र तो उसी की ही भांति थे। लेकिन धृष्‍ट्बुद्धि हमेशा ही पापकर्मों में लिप्‍त रहता था।

धनपाल अपने पुत्र धृष्‍ट्बुद्धि से बहुत दु:खी रहता था। एक द‍िन उसने परेशान होकर धृष्‍ट्बुद्धि को घर से ही निकाल द‍िया। इसके बाद वह दर-दर भटकने लगा। उसकी खराब आदतों की वजह से किसी ने कुछ भी खाने-पीने को नहीं द‍िया। भूख-प्‍यास से व्‍याकुल धृष्‍ट्बुद्धि महर्षि कौंड‍िन्‍य के आश्रम जा पहुंचा और हाथ जोड़ कर बोला महर्षि मैं अपराधी हूं किंतु मेरा कल्‍याण करें। कृपा करके कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे मेरी मुक्ति हो जाए। तब म‍हर्षि ने उसे मोहिनी एकादशी की व्रत व‍िध‍ि और महत्‍व बताया।

महर्षि कौंड‍िन्‍य ने कहा कि हे जातक वैशाख के शुक्ल पक्ष में मोहिनी नाम से एकादशी का व्रत करो। यह व्रत करने से प्राणियों के अनेक जन्मों में किए हुए मेरु पर्वत जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं। महर्षि के यह वचन सुनकर धृष्‍ट्बुद्धि का मन प्रसन्‍न हो गया। उसने गुरु के अनुसार बताई गई विधि से मोहिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के करने से वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर गरुड़ पर आरूढ़ हो सब प्रकार के उपद्रवों से रहित श्रीविष्णुधाम को चला गया। कहा जाता है कि इसी प्रकार जो जो भी जातक मोहिनी एकादशी का व्रत करके इसकी कथा पढ़ता या सुनता है, उसके सभी दु:ख दूर हो जाते हैं। साथ ही उसे सहस्त्र गोदान का फल मिलता है।

समुद्र मंथन के दौरान देव-दानवों के बीच अमृत कलश को लेकर घमासान युद्ध छिड़ गया। तब भगवान व‍िष्‍णु ने सुंदर स्‍त्री मोहिनी का रूप धारण किया। जिसपर असुर मोहित हो उठे। तब श्रीहर‍ि ने देवताओं को अमृत पान कराया। इससे सभी देवता अमर हो गए। कहा जाता है कि जिस द‍िन श्रीहर‍ि ने मोहिनी का रूप धारण किया था वह तिथि वैशाख मास की शुक्‍ल एकादशी थी। यही वजह है कि इस तिथ‍ि को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा इस द‍िन भगवान विष्‍णुजी के मोहिनी रूप की भी पूजा-आराधना का विधान है।

मोहिनी एकादशी कब है?: Mohini Ekadashi Date and Time in Hindi 

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। इस बार मोहिनी एकादशी 3 मई 2020 को है।

मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
मोहिनी एकादशी की तिथि: 3 मई 2020
एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 मई 2020 को सुबह 9 बजकर 9 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्‍त: 4 मई सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक
पारण का समय: 4 मई को दोपहर 1 बजकर 38 मिनट से शाम 4 बजकर 18 मिनट तक

मोहिनी एकादशी का महत्‍व : Importance of Mohini Ekadashi 

हिन्‍दू धर्म में मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) का विशेष महत्‍व है। इस एकादशी को बेहद फलदायी और कल्‍याणकारी माना गया है। मान्यता है कि इस एकादशी को व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि माता सीता के विरह से पीड़ित भगवान श्री राम और महाभारत काल में युद्धिष्ठिर ने भी अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए इस एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान से किया था।

मोहिनी एकादशी की पूजन विधि : Mohini Ekadashi Pooja vidhi

- मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें।
- इसके बाद स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें व्रत का संकल्‍प लें।
- अब घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने दीपक जलाएं।
- इसके बाद विष्‍णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं।
- विष्‍णु की पूजा करते वक्‍त तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें।
- इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती उतारें।
- अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
- एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं।

मोहिनी एकादशी का व्रत कैसे करें

- एकादशी से एक दिन पूर्व ही व्रत के नियमों का पालन करें।
- व्रत के दिन निर्जला व्रत करें।
- शाम के समय तुलसी के पास गाय के घी का एक दीपक जलाएं।
- रात के समय सोना नहीं चाहिए. भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए।
- अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें। - इसके बाद अन्‍न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।

मोहिनी एकादशी व्रत के नियम

- कांसे के बर्तन में भोजन न करें।
- नॉन वेज, मसूर की दाल, चने व कोदों की सब्‍जी और शहद का सेवन न करें।
- कामवासना का त्‍याग करें।
- व्रत वाले दिन जुआ नहीं खेलना चाहिए।
- पान खाने और दातुन करने की मनाही है।

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