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Lord Shiva Mantra in Hindi: इन मन्त्रों से करें भगवान शिव की पूजा

Lord Shiva Mantra in Hindi
Lord Shiva Mantra in Hindi

आज सोमवार है, इन मन्त्रों से करें भगवान शिव की पूजा (Lord Shiva Mantra in Hindi)

सोमवार भगवान शिव (Lord Shiva) का दिन है। शिव जी (Shivji) को देवों का देव महादेव कहा जाता है। भगवान शिव ब्रह्मा-विष्णु-महेश की त्रिमूर्ति में से एक हैं। जब सारे देवता हार मान जानते हैं तो भोले बाबा ही हैं जो हर भंवर से नैय्या को पार लगाने में सहायता करते हैं। भगवान शिव के अनेकों रुप भी हैं और अनेकों मंत्र भी। सभी मंत्रों के अपने मायने और महत्व है। देवों के देव महादेव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जानेवाले देव हैं। सिर्फ एक लौटा भर जल चढ़ा देने से ही अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते है। फिर भी यदि भगवान शिव की आराधना (prayer to lord shiva) विधि विधान के साथ करें, तो उसका फल ज्यादा होता है। आज सोमवार के दिन हम आपके लिए लेकर आए हैं महादेव के प्रभावशाली मंत्र (shiva mantra)।

ॐ नमः शिवाय

यह सबसे ज्यादा प्रयोग किए जाना वाला शिव मंत्र (shiva mantra) है। इस मंत्र का अर्थ है – “मैं भगवान शिव (Lord Shiva) को नमन करता हूं!” भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करने और भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए 108 पर इस मंत्र का उपचारण करते हैं। भगवान शंकर का पंचाक्षर मंत्र (Shiva mantra in Sanskrit) ॐ नमः शिवाय अमोघ एवं मोक्षदायी है, किंतु विषम काल में यदि भक्त पर कोई कठिन व्याधि या समस्या आन पड़े तब श्रद्धापूर्वक 'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ' के मंत्र का एक लाख जप करना चाहिए। यह बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाल देता है।

Listen Om Namah Shivay Shiva mantra mp3




ॐ नमो भगवते रुद्राय

भगवान शिव (Lord Shiva) के इस मंत्र का इस्तेमाल भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। भक्त भगवान शिव से मदद लेने और उनकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए इस रुद्र मंत्र का जाप करते हैं।

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात


यह शिव मंत्र (shiva mantra in hindi) अपने आप में बेहद खास है। शिव गायत्री मंत्र भी बहुत शक्तिशाली है और मन की शांति पाने और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जप किया जाता है।

Listen Om Namah Shivay Shiva mantra mp3




ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

भगवान शिव के इस मंत्र (maha mrityunjay mantra) का इस्तेमाल भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और सभी पापों से छुटकारा दिलाता है। भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करने और जीवन से हर प्रकार की परेशानी दूर करने के लिए इस मंत्र का इस्तेमाल किया जाता है।

भगवान शिव के अन्य मंत्र (shiva mantra sanskrit)

इन पांच मंत्रों के अतिरिक्त भी कुछ मंत्र हैं जो महादेव को प्रिय हैं. आइये जानते हैं उनके बारे में:

मनोवांछित फल पाने के लिए शिवजी के इस मंत्र (shiva mantra in sanskrit) का जाप करें:

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय। मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय। श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।



स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए शिवजी के मंत्र इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्। भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ।।
कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय। सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे।।
पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा उन्हें स्नान समर्पण करना चाहिए...
ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य सकम्भ सर्ज्जनीस्थो| वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद्||


भगवान शिव की पूजा (Lord Shiva Puja) करते समय इस मंत्र के द्वारा उन्हें यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए...

ॐ ब्रह्म ज्ज्ञानप्रथमं पुरस्ताद्विसीमतः सुरुचो वेन आवः। स बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च विवः||


इस मंत्र के द्वारा भगवान भोलेनाथ (Bhagwan Bholenath) को गंध समर्पण करना चाहिए...

ॐ नमः श्वभ्यः श्वपतिभ्यश्च वो नमो नमो भवाय च रुद्राय च नमः। शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च||



इस मंत्र के द्वारा अर्धनारीश्वर को धूप समर्पण करना चाहिए...

ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च। नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च||


पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा भगवान शिव को पुष्प समर्पण करना चाहिए...

ॐ नमः पार्याय चावार्याय च नमः प्रतरणाय चोत्तरणाय च। नमस्तीर्थ्याय च कूल्याय च नमः शष्प्याय च फेन्याय च||

इस मंत्र के द्वारा भगवान चन्द्रशेखर को नैवेद्य अर्पण करना चाहिए...

ॐ नमो ज्येष्ठाय च कनिष्ठाय च नमः पूर्वजाय चापरजाय च। नमो मध्यमाय चापगल्भाय च नमो जघन्याय च बुधन्याय च||


पूजन के दौरान इस मंत्र से भगवान शिव को ताम्बूल पूगीफल समर्पण करना चाहिए...

ॐ इमा रुद्राय तवसे कपर्दिने क्षयद्वीराय प्रभरामहे मतीः। यशा शमशद् द्विपदे चतुष्पदे विश्वं पुष्टं ग्रामे अस्तिमन्ननातुराम्||


भोलेनाथ को इस मंत्र से सुगन्धित तेल समर्पण करना चाहिए...

ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च। नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च||


भगवान भोलेनाथ को इस मंत्र के द्वारा दीप दर्शन कराना चाहिए...

ॐ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च। नमः ऊर्म्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च||


इस मंत्र से भगवान शिवजी को बिल्वपत्र समर्पण करना चाहिए...

दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनं पापनाशनम्। अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्||



शाम के वक्त करें इस मंत्र का जाप

शास्त्रानुसार भोलेनाथ के इस मंत्र का जाप शाम के वक्त ही करना चाहिए. सूर्यास्त के बाद हाथों और पैरों को अच्छे से धो लें. इसके बाद मंदिर के सामने बैठ जाएं और घी का दीपक जलाएं. भोलेनाथ के नाम का स्मरण करते हुए इस मंत्र का जाप करें.

वन्दे देवमुमापतिं सुरगुरुं वन्दे जगत्कारणं। वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं वन्दे पशूनांपतिम्।।

वन्दे सूर्य-शशाङ्क-वह्निनयनं वन्दे मुकुन्दप्रियं। वन्दे भक्तजनाश्रयञ्च वन्दे शिवं शङ्करम्।।


108 बार इस मंत्र का जाप करने के बाद भोलेनाथ से आशीर्वाद की प्रार्थना करते हुए इसे संपन्न करें. इसके बाद भोग लगाएं और परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद बांटे. मान्यताओं के अनुसार, भोलेनाथ का ये मंत्र तन और मन दोनों की शांति के लिए अच्छा माना जाता है. इस मंत्र से मनुष्य के शरीर से नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं और मन में सकारात्मक विचार आते हैं.

भगवान शिव के 108 नाम (lord shiva names in hindi)

भगवान शिव के अनेक नाम है। जिसमें से 108 नामों का विशेष महत्व है। यहां अर्थ सहित नामों को प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रदोष, शिवरात्रि, श्रावण मास, श्रावण सोमवार या प्रति सामान्य सोमवार को इन नामों का स्मरण करने से शिव की कृपा सहज प्राप्त हो जाती है।

भगवान शिव के 108 नाम, अर्थ सहित (names for lord shiva)

1. शिव- कल्याण स्वरूप
2. महेश्वर- माया के अधीश्वर
3. शम्भू- आनंद स्वरूप वाले
4. पिनाकी- पिनाक धनुष धारण करने वाले
5. शशिशेखर- सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
6. वामदेव- अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
7. विरूपाक्ष. विचित्र आंख वाले( शिव के तीन नेत्र हैं)
8. कपर्दी- जटाजूट धारण करने वाले
9. नीललोहित- नीले और लाल रंग वाले
10. शंकर- सबका कल्याण करने वाले
11. शूलपाणी- हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
12. खटवांगी- खटिया का एक पाया रखने वाले
13. विष्णुवल्लभ- भगवान विष्णु के अति प्रिय
14. शिपिविष्ट- सितुहा में प्रवेश करने वाले
15. अंबिकानाथ- देवी भगवती के पति
16. श्रीकण्ठ- सुंदर कण्ठ वाले
17. भक्तवत्सल- भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
18. भव- संसार के रूप में प्रकट होने वाले
19. शर्व- कष्टों को नष्ट करने वाले
20. त्रिलोकेश- तीनों लोकों के स्वामी
21. शितिकण्ठ- सफेद कण्ठ वाले
22. शिवाप्रिय- पार्वती के प्रिय
23. उग्र- अत्यंत उग्र रूप वाले
24. कपाली- कपाल धारण करने वाले
25. कामारी- कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
26. सुरसूदन- अंधक दैत्य को मारने वाले
27. गंगाधर- गंगा जी को धारण करने वाले
28. ललाटाक्ष- ललाट में आंख वाले
29. महाकाल- कालों के भी काल
30. कृपानिधि- करूणा की खान
31. भीम- भयंकर रूप वाले
32. परशुहस्त- हाथ में फरसा धारण करने वाले
33. मृगपाणी- हाथ में हिरण धारण करने वाले
34. जटाधर- जटा रखने वाले
35. कैलाशवासी- कैलाश के निवासी
36. कवची- कवच धारण करने वाले
37. कठोर- अत्यंत मजबूत देह वाले
38. त्रिपुरांतक- त्रिपुरासुर को मारने वाले
39. वृषांक- बैल के चिह्न वाली ध्वजा वाले
40. वृषभारूढ़- बैल की सवारी वाले
41. भस्मोद्धूलितविग्रह- सारे शरीर में भस्म लगाने वाले
42. सामप्रिय- सामगान से प्रेम करने वाले
43. स्वरमयी- सातों स्वरों में निवास करने वाले
44. त्रयीमूर्ति- वेदरूपी विग्रह करने वाले
45. अनीश्वर- जो स्वयं ही सबके स्वामी है
46. सर्वज्ञ- सब कुछ जानने वाले
47. परमात्मा- सब आत्माओं में सर्वोच्च
48. सोमसूर्याग्निलोचन- चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
49. हवि- आहूति रूपी द्रव्य वाले
50. यज्ञमय- यज्ञस्वरूप वाले
51. सोम- उमा के सहित रूप वाले
52. पंचवक्त्र- पांच मुख वाले
53. सदाशिव- नित्य कल्याण रूप वाल
54. विश्वेश्वर- सारे विश्व के ईश्वर
55. वीरभद्र- वीर होते हुए भी शांत स्वरूप वाले
56. गणनाथ- गणों के स्वामी
57. प्रजापति- प्रजाओं का पालन करने वाले
58. हिरण्यरेता- स्वर्ण तेज वाले
59. दुर्धुर्ष- किसी से नहीं दबने वाले
60. गिरीश- पर्वतों के स्वामी
61. गिरिश्वर- कैलाश पर्वत पर सोने वाले
62. अनघ- पापरहित
63. भुजंगभूषण- सांपों के आभूषण वाले
64. भर्ग- पापों को भूंज देने वाले
65. गिरिधन्वा- मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
66. गिरिप्रिय- पर्वत प्रेमी
67. कृत्तिवासा- गजचर्म पहनने वाले
68. पुराराति- पुरों का नाश करने वाले
69. भगवान्- सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न
70. प्रमथाधिप- प्रमथगणों के अधिपति
71. मृत्युंजय- मृत्यु को जीतने वाले
72. सूक्ष्मतनु- सूक्ष्म शरीर वाले
73. जगद्व्यापी- जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले
74. जगद्गुरू- जगत् के गुरू
75. व्योमकेश- आकाश रूपी बाल वाले
76. महासेनजनक- कार्तिकेय के पिता
77. चारुविक्रम- सुन्दर पराक्रम वाले
78. रूद्र- भयानक
79. भूतपति- भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी
80. स्थाणु- स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
81. अहिर्बुध्न्य- कुण्डलिनी को धारण करने वाले
82. दिगम्बर- नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले
83. अष्टमूर्ति- आठ रूप वाले
84. अनेकात्मा- अनेक रूप धारण करने वाले
85. सात्त्विक- सत्व गुण वाले
86. शुद्धविग्रह- शुद्धमूर्ति वाले
87. शाश्वत- नित्य रहने वाले
88. खण्डपरशु- टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
89. अज- जन्म रहित
90. पाशविमोचन- बंधन से छुड़ाने वाले
91. मृड- सुखस्वरूप वाले
92. पशुपति- पशुओं के स्वामी
93. देव- स्वयं प्रकाश रूप
94. महादेव- देवों के भी देव
95. अव्यय- खर्च होने पर भी न घटने वाले
96. हरि- विष्णुस्वरूप
97. पूषदन्तभित्- पूषा के दांत उखाड़ने वाले
98. अव्यग्र- कभी भी व्यथित न होने वाले
99. दक्षाध्वरहर- दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाले
100. हर- पापों व तापों को हरने वाले
101. भगनेत्रभिद्- भग देवता की आंख फोड़ने वाले
102. अव्यक्त- इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
103. सहस्राक्ष- हजार आंखों वाले
104. सहस्रपाद- हजार पैरों वाले
105. अपवर्गप्रद- कैवल्य मोक्ष देने वाले
106. अनंत- देशकालवस्तु रूपी परिछेद से रहित
107. तारक- सबको तारने वाले
108. परमेश्वर- सबसे परम ईश्वर।

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भगवान शिव के 108 नाम







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