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vaibhav lakshmi puja in hindi: शुक्रवार को रखें वैभव लक्ष्मी व्रत



वैभव लक्ष्मी व्रत (vaibhav lakshmi puja) शुक्रवार के दिन रखा जाता है। मान्यता है कि वैभव लक्ष्मी व्रत अतिशीघ्र फल प्रदान करता है। इस दिन विशेष रूप से धन और वैभव की देवी, लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा में लाल रंग का प्रयोग विशेष् रूप से किया जाता है।

वैभव लक्ष्मी पूजा विधि (vaibhav lakshmi puja vidhi)

वैभव लक्ष्मी का व्रत शुक्रवार के दिन करना चाहिए। व्रती को शुक्रवार के दिन सभी कार्य संपन्न कर पूजा के लिए घर में लक्ष्मी जी की मूर्ति या "श्री यंत्र" को लाल रंग के कपड़े पर रखकर स्थापित करना चाहिए। माता की प्रतिमा या "श्री यंत्र" के सामने बैठकर लक्ष्मी जी के आठ "श्री" रूपों का ध्यान करना चाहिए। माता लक्ष्मी के आठ श्री रूप निम्न हैं:
लक्ष्मी जी के आठ "श्री" रूप
श्री वैभव लक्ष्मी
श्री गज लक्ष्मी
श्री अधि लक्ष्मी
श्री विजया लक्ष्मी
श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी
श्री वीर लक्ष्मी
श्री धान्य लक्ष्मी
श्री संतान लक्ष्मी
इसके बाद पूजा के लिए एक साफ प्लेट लेकर उसमें करीब एक मुट्ठी चावल रखकर उस पर जल से भरा हुआ तांबे का लोटा स्थापित करना चाहिए। थाली में एक या दो सोने का आभूषण और थोड़े लाल रंग के फूल भी रखने चाहिए। आटे के चुरमें में कुछ फल काटकर पूजा का प्रसाद तैयार कर पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए तथा वैभव लक्ष्मी कथा सुनना चाहिए।
अंत में प्रसाद को आस- पास के लोगों व परिवार वालों में बांटने चाहिए। व्रत का उद्यापन करने के लिए सात सुहागन स्त्रियों को भोजन करवा कर, उन्हें श्री वैभव लक्ष्मी व्रत कथा की पुस्तक और दक्षिणा दान में देना चाहिए। वैभव लक्ष्मी व्रत में पूरे दिन का उपवास रखते हुए एक बार भोजन करने का रिवाज है। इस दिन केवल अपने घर का ही भोजन करना चाहिए।

श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र (vaibhav lakshmi puja kaise karte hain)

लक्ष्मी जी पूजा के करते समय निम्न मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए-
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

वैभव लक्ष्मी व्रत का फल (vaibhav lakshmi puja karne ki vidhi)

मान्यता है कि वैभव लक्ष्मी व्रत करने से व्यक्ति को फलस्वरूप सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी जी की कृपा से व्रती की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। इस दिन श्री यंत्र की स्थापना कर पूजा करने में घर में स्थिर लक्ष्मी का वास होता है।


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