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shani dev ki puja
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शनिवार को करें पीपल की पूजा, मिटेंगे सारे कष्ट (shani dev ki mahima)

आज शनिवार है। भगवान शनि का दिन। आज शनिदेव (shani dev) की पूजा की जाती है। लोग शनि मंदिर जाकर उनके उपर तेल चढ़ाते हैं। पीपल की जड़ों में भी तेल चढ़ाते हैं। शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा (peepal tree puja) विशेष तौर पर शनि दोष दूर करने के लिए की जाती है। पीपल की जड़ो में तेल चढ़ाना शन‍ि को शांत करने के लिए किया जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा का भी विशेष महत्व है। पीपल के पत्‍तों के उपाय करने से भी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और शनि की कृपा बनी रहती है।

शनिवार को क्यों करते हैं पीपल की पूजा (peepal tree worship on saturday in hindi)

पीपल के पेड़ की पूजा करने के पीछे की कथा बहुत दिलचस्प है। यह कथा कैटभ नाम के राक्षस से जुड़ती है। बात तब की है, जब स्वर्ग पर असुरों का शासन था। कैटभ नाम का राक्षस पीपल वृक्ष का रूप धारण करके यज्ञ को नष्ट कर देता था। जब भी कोई ब्राह्मण समिधा के लिए पीपल के पेड़ की टहनियां तोड़ने पेड़ के पास जाता, तो यह राक्षस उसे खा जाता। ऋषिगण समझ नहीं पाते थे कि ब्राह्मण कुमार कैसे गायब हो रहे हैं। परेशान और दुखी ऋषिगण सूर्यपुत्र शनि देव के पास सहायता मांगने गए। शनिदेव ने उनकी सहायता करने का वचन दिया और ब्राह्मण बनकर पीपल के पेड़ के पास गए। कैटभ ने शनि महाराज को पकड़ लिया। इसके बाद शनि और कैटभ में युद्ध हुआ। शनि महाराज ने कैटभ का वध कर दिया। ऋषियों ने शनि की पूजा अर्चना की। शनि महाराज ने ऋषियों को कहा कि आप सभी भयमुक्त होकर शनिवार के दिन पीपल के पड़े की पूजा करें। इससे शनि की पीड़ा से मुक्त हो जाएगा।

दूसरी कथा भगवान शिव और ऋषि पिप्पलाद से सम्बंधित है। मान्यता है कि भगवान शिव के अवतार थे ऋषि पिप्पलाद। बचपन में ही इनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। बड़े होने इन्हें पता चला कि शनि की दशा के कारण ही इनके माता-पिता को मृत्यु का सामना करना पड़ा। इससे क्रोधित होकर पिप्लाद तपस्या करने बैठ गए। ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके उनसे ब्रह्मदंड मांगा और शनि देव की खोज में निकल पड़े। इन्होंने शनि देव को पीपल के वृक्ष पर बैठा देखा तो उनके ऊपर ब्रह्मदंड से प्रहार किया। इससे शनि के दोनों पैर टूट गये। शनि देव ने भगवान शिव से सहायता मांगी। भगवान शिव ने ऋषि पिप्पलाद का क्रोध शांत किया और शनि की रक्षा की। इस दिन से ही शनि पिप्पलाद से भय खाने लगे। पिप्पलाद का जन्म पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ था और पीपल के पत्तों को खाकर इन्होंने तप किया था। इसलिए ही पीपल की पूजा करने से शनि का अशुभ प्रभाव दूर होता है।

कैसे करें पीपल की पूजा (peepal tree worship vidhi in hindi)

शनिवार शाम को शनिदेव की पूजा करें। पूजा के पश्चात पीपल के पेड़ के नीचे सरसों तेल का दिया जलाएं। दिया जलाने के बाद उस पीपल के पेड़ से उसके कुछ पत्ते तोड़कर घर ले लेकर आएं और इनको गंगाजल से धो लें। पत्ते को पानी में हल्दी डालकर एक गाढ़ा घोल तैयार करें और दाएं हाथ की अनामिका अंगुली से इस घोल को लेकर पीपल के पत्‍ते पर 'ह्रीं' लिखें। पत्ते पर 'ह्रीं' लिखने के बाद पत्ते को पूजा करने के स्थान पर रख दें। पूजा स्थान पर रखने के बाद, धूप-बत्ती आदि से इसकी पूजा करें। अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए प्राथना करें कि आपकी मनोकामना पूर्ण हो। अगर आपके घर में पूजास्थल ना हो तो किसी साफ स्थान पर आसन बिछाकर पद्मासन में बैठ जाएं। किसी साफ प्लेट में इस पत्ते को रखें और उसी प्रकार धूप बत्ती दिखाते हुए पूजा करें।
पूजन के बाद पीपल के पत्ते को पर्स या तिजोरी में रखें। हर शनिवार को पुराना पत्ता किसी मंदिर में जाकर चढ़ा आएं और पहले बताई गई विधि के अनुसार नया पत्ता लेकर आएं। इसे विधिवत और पूर्ण श्रृद्धा से कुछ हफ्तों तक करें, इस उपाय को करने से धन की समस्‍या दूर होने लगेगी।

शनिवार काली चीजों को दान करने का फल (shani pooja vidhi in hindi)

१. शनिवार को काले तिलों का दान करें। तिल का दान करने से दुख और दुर्भाग्य दूर होता है।
2. लौंग का दान करने से मन में शांति मिलती है। लोहा दान करने से आर्थिक हानि कम होती है।
3. काजल का दान करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और आंखों के विकार दूर होते हैं। यदि आपकी आंखों में विकार हैं, तो शनिवार के दिन काजल का दान करें, अच्छा माना जाता है।
4. शनिवार के दिन काला कंबल दान करने से मान-यश की प्राप्ति होती है। उड़द दान करने से शारीरिक विकारों से मुक्ति मिलती है।
5. करियर में उन्नति के लिए शनिवार के दिन किसी भी मजदूर को काला छाता दान करना चाहिए।
6. शनिवार के दिन तवा दान करने से व्यक्ति के अन्न के भंडार भरते हैं।
7. नीलम दान करने से विवादों और कोर्ट कचहरी से छुटकारा मिलता है।
8. काले जूते का शनिवार के दिन दान करने से दुर्घटना से सुरक्षा प्राप्त होती है।
9. शनिदेव पर शनिवार के दिन नारियल चढ़ाने से संतान के कष्ट मिटते हैं।
10. शनिदेव को शनिवार के दिन बैंगन चढ़ाने से व्यक्ति गुणी बनता है।

शनि करने के लिए कौन सा मंत्र जाप करें (shani dev mantra in hindi)

शास्त्रों में ग्रह उपासना लिए एक ऐसा उपाय बताया गया है, जो सभी ग्रह दोषों से मुक्त करने के साथ जीवन भर ग्रह पीड़ा से मुक्त रखने वाला भी होता है।
यह उपाय है हर शनिवार की शाम पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ विशेष ग्रह पीड़ा मुक्ति मंत्र का स्मरण। देव वृक्ष पीपल की पूजा ग्रह दोष व दरिद्रता का अंत करने वाली मानी गई है। जानिए इससे जुड़ी आसान विधि -
- शनिवार की शाम पीपल की जड़ में गाय का दूध मिला जल, चंदन व काले तिल अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं।
- पीपल के नीचे कुश आसन पर बैठ गोघृत का दीप व धूप जलाएं और नीचे लिखें मंत्र विशेष का 108 बार रुद्राक्ष या चन्दन के दानों की माला से जप करें। इस मंत्र में अमुक शब्द के स्थान पर ग्रह पीड़ित परिजन, स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति का नाम लें।
ॐ नमो भास्कराय (अमुक) सर्व ग्रहणां पीड़ा नाश कुरु कुरु स्वाहा।
- मंत्र जप के बाद त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आरती कर मंगल की कामना करें।

शनिदेव की ये 7 बातें जानना है खास  (shanidev ki mahima in hindi)

1. शनिदेव सूर्यदेव के पुत्र हैं और इनकी माता का नाम छाया है। शनि को मंदा, कपिलाक्‍क्षा और सौरी के नाम से भी जाना जाता है।
2. शनिदेव नवग्रहों में से एक हैं जो इंसान के जीवन में प्रभाव डालते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि किसी भी व्‍यक्ति के बुरे प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं।
3. शनिदेव को बुरे ग्रहों में नहीं गिना जाता है क्‍योंकि यह व्‍यक्ति को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
4. शनिदेव कठिन परिश्रम, अनुशासन, निर्णय लेने की क्षमता आदि गुणों के लिए जाने जाते हैं। शनि मनुष्‍य के इन्‍हीं गुणों से प्रभावित होकर फल देते हैं और जो लोग ऐसा नहीं करते हैं उन्‍हें ही अपने जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
5. शनिदेव की पूजा करने का सबसे अच्‍छा तरीका है उनका सरसों के तेल से अभिषेक कराना। ऐसा करने से सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।
6. शनिदेव का प्रभाव व्‍यक्ति पर उसके कर्मों के अनुसार पड़ता है। इसलिए शनिदेव को कर्म का फल देने वाले देवता के रूप में भी जाना जाता है।
7. शनिदेव भगवान शिव शंकर के परम भ‍क्‍त हैं।

शनिवार की व्रत कथा का वीडियो जरूर देखें 

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान शनिवार को व्रत रखने के साथ-साथ शनिवार व्रत कथा का पढ़ना और सुनना विशेष रूप से लाभदायक होता है। अगर आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या लगने वाली है तो आप शनिवार के दिन व्रत अवश्य रखें, इससे साढ़ेसाती और ढैय्या में लाभ मिलता है। शनिवार व्रत के साथ शनिदेव की कथा भी पढ़नी चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव की विशेष कृपा बनी रहती है। तो चलिए जानते हैं कि क्या है शनिवार व्रत की कथा जिसे पढ़ना और सुनना शुभ फलदायी होता है।


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