-->

Subscribe Us

Maa Baglamukhi Jayanti 2020 in hindi: आज है मां बगलामुखी जयंती 2020

maa baglamukhi
maa baglamukhi

Maa Baglamukhi Jayanti 2020 in hindi: आज है मां बगलामुखी जयंती 2020 


मां बगलामुखी दसमहाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। ये स्तम्भन की देवी हैं। सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती। जानिये माँ बगलामुखी के बारे में, पढ़िए चालीसा, मंत्र, आरती और पूजा विधि।


वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस माना जाता है। मां बगलामुखी को पीला रंग अति प्रिय है। इसलिए इन्हें पीताम्बरा भी कहा जाता है। इनकी अराधना से शत्रुओं से जुड़ी तमाम बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। मां बगलामुखी दसमहाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। ये स्तम्भन की देवी हैं और सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती।  माँ की पूजा दुश्मन को हराने, प्रतियोगिताओं और अदालत के मामलों को जीतने के लिए जानी जाती हैं। माँ बगलामुखी मंत्र स्वाधिष्ठान चक्र की कुंडलिनी जागृति के लिए उपयोग करते हैं।

कौन हैं माँ बगलामुखी (About Maa Baglamukhi in Hindi)

बगला एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ दुल्हन है। दुल्हन की तरह आलौकिक सौन्दर्य और अपार शक्ति की स्वामिनी होने के कारण देवी का नाम बगलामुखी पड़ा। देवी को बगलामुखी, पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है। माँ बगलामुखी मंत्र कुंडलिनी के स्वाधिष्ठान चक्र को जागृति में सहयता करतीं हैं।

देवी बगलामुखी का सिंहासन रत्नों से जड़ा हुआ है और उसी पर सवार होकर देवी शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं। शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। कहा जाता है कि देवी का सच्चा भक्त तीनों लोक में अजेय होता है, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है।

पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं। देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती हैं। बगलामुखी देवी रत्नजड़ित सिहासन पर विराजती होती हैं। रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है। पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं। देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है। बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है। पीताम्बरा की उपासना से मुकदमा में विजयी प्राप्त होती है। शत्रु पराजित होते हैं। रोगों का नाश होता है। साधकों को वाकसिद्धि हो जाती है। इन्हें पीले रंग का फूल, बेसन एवं घी का प्रसाद, केला, रात रानी फूल विशेष प्रिय है। पीताम्बरा का प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया और नलखेडा(जिला-शाजापुर) और आसाम के कामाख्या में है।

माँ बगलामुखी की पौराणिक कथा (Maa Baglamukhi story in Hindi) 


एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट-भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए।

इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे, तब भगवान शिव ने कहा: शक्ति रूप के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता। अत: आप उनकी शरण में जाएं। तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया। भगवान विष्णु के तप से देवी शक्ति प्रकट हुईं। उनकी साधना से महात्रिपुरसुंदरी प्रसन्न हुईं। सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीड़ा करती महापीतांबरा स्वरूप देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ। इस तेज से ब्रह्मांडीय तूफान थम गया।

मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में देवी शक्ति का देवी बगलामुखी के रूप में प्रादुर्भाव हुआ था। त्रैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रुक सका। देवी बगलामुखी को वीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वयं ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं। इनके शिव को महारुद्र कहा जाता है। इसीलिए देवी सिद्ध विद्या हैं। तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं। गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं।

मां बगलामुखी की पूजा विधि (Maa Baglamukhi puja vidhi in Hindi)

इस दिन प्रात: काल उठें। संभव हो तो माता की पूजा के समय पीले वस्त्र धारण करें। इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। उपासक को माता की अराधना अकेले बैठकर या किसी सिद्ध व्यक्ति के साथ बैठकर करनी चाहिए। पूजा की दिशा पूर्व होनी चाहिए। पूजा वाले स्थान को सबसे पहले गंगाजल से पवित्र कर लें। उसके बाद उस स्थान पर चौकी रख उस पर पीला वस्त्र बिछाकर माता बगलामुखी की मूर्ति स्थापित करें। फिर हाथ धोए और आसन पवित्र करें। बगलामुखी व्रत का संकल्प हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल तथा कुछ दक्षिणा लेकर करें। इसके पश्चात धूप, दीप से माता की पूजा करें। उन्हें फल और पीले लड्डू चढ़ाएं। व्रत रखने वाले जातक को इस दिन निराहार रहना चाहिए। रात्रि के समय फल ग्रहण कर सकते हैं। अगले दिन पूजा के बाद भोजन ग्रहण करें।

माँ बगलामुखी मंत्र (Bagalamukhi Mantra in Hindi) 

श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।
इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए।
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।
अब देवी का ध्यान करें
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

बगलामुखी बीज मंत्र (Baglamukhi Mantra in Hindi) 

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa in Hindi) 


|| श्री गणेशाय नमः || श्री बगलामुखी चालीसा
नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल |
स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल ||
नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी | 1|
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी |2 |
अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा |3 |
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना |4 |
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे |5 |
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला |6 |
भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई |7 |
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा |8 |
तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी |9 |
छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी |10 |
सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे |11 |
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन |12 |
दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता |13 |
साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता |14 |
मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी |15 |
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी |16 |
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुध्दि नाशकर कीलक तन को |17 |
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके |18 |
चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे |19 |
अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे |20 |
मूठ आदि अभिचारण संकट । राजभीति आपत्ति सन्निकट |21|
ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे |22 |
सुमरित राजव्दार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे |23 |
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर|24|
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी |25 |
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक |26 |
तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें |27 |
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता|28|
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता | 29 |
पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी |30|
जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई |31 |
आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो|32|
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी |33|
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया |34 |
जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा |35 |
नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता |36 |
सोम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता |37|
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो |38|
नमो महाविधा आगारा,आदि शक्ति सुन्दरी आपारा |39 |
अरि भंजक विपत्ति की त्राता , दया करो पीताम्बरी माता | 40 |
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं , अरि समूल कुल काल | मेरी सब बाधा हरो , माँ बगले तत्काल ||

माता बगलामुखी आरती (Baglamukhi Aarti in Hindi) 

जय जयति सुखदा, सिद्धिदा, सर्वार्थ – साधक शंकरी। स्वाहा, स्वधा, सिद्धा, शुभा, दुर्गानमो सर्वेश्वरी ।।
जय सृष्टि-स्थिति-कारिणि-संहारिणि साध्या सुखी। शरणागतो-अहं त्राहि माम् , मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
जय प्रकृति-पुरूषात्मक-जगत-कारण-करणि आनन्दिनी। विद्या-अविद्या, सादि-कादि, अनादि ब्रह्म-स्वरूपिणी।।
ऐश्वर्य-आत्मा-भाव-अष्टम, अंग परमात्मा सखी। शरणागतो-अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
जय पंच-प्राण-प्रदा-मुदा, अज्ञान-ब्रह्म-प्रकाशिका। संज्ञान-धृति-अज्ञान-मति-विज्ञान-शक्तिविधायिका ।।
जय सप्त-व्याहृति-रूप, ब्रह्म विभू ति शशी-मुखी । शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
आपत्ति-अम्बुधि अगम अम्ब! अनाथ आश्रयहीन मैं। पतवार श्वास-प्रश्वास क्षीण, सुषुप्त तन-मन दीन मैं।।
षड्-रिपु-तरंगित पंच-विष-नद, पंच-भय-भीता दुखी। शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
जय परमज्योतिर्मय शुभम् , ज्योति परा अपरा परा। नैका, एका, अनजा, अजा, मन-वाक्-बुद्धि-अगोचरा।।
पाशांकुशा, पीतासना, पीताम्बरा, पंकजमुखी। शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
भव-ताप-रति-गति-मति-कुमति, कर्त्तव्य कानन अति घना। अज्ञान-दावानल प्रबल संकट विकल मन अनमना।।
दुर्भाग्य-घन-हरि, पीत-पट-विदयुत झरो करूणा अमी। शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
हिय-पाप पीत-पयोधि में, प्रकटो जननि पीताम्बरा!। तन-मन सकल व्याकुल विकल, त्रय-ताप-वायु भयंकरा।।
अन्तःकरण दश इन्द्रियां, मम देह देवि! चतुर्दशी। शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।
दारिद्रय-दग्ध-क्रिया, कुटिल-श्रद्धा, प्रज्वलित वासना। वासना। अभिमान-ग्रन्थित-भक्तिहार, विकारमय मम साधना।।
अज्ञान-ध्यान, विचार-चंचल, वृत्ति वैभव-उन्मुखी। शरणागतो अहं त्राहि माम्, मां त्राहि माम् बगलामुखी।।

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
PingMyLinks.com - FREE Website Submission
bhaktiapp.in सनातन हिन्दू धर्म की संपूर्ण जानकारी देने वाली वेबसाइट है। आप सभी तरह की सूचना, खबर, जानकारी, राय, सुझाव हमें इस ईमेल पर भेज सकते हैं – bhaktiapp01@gmail.com – या इस नंबर पर वाट्सएप कर सकते हैं – 8383904119  – आप हमें ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब चैनल पर भी फॉलो कर सकते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ